जिसके चित्र बसे नैनन, उस कृष्ण सरी का हो जीवन। रुक्मिणी से बंधे बंधन, फिर भी प्रेम करे राधा के संग।। रंग अनेक रहे राधा के आंगन, फिर भी श्याम मय रहे तन मन। बिहारी संग शोर मचाए, दुनिया भूली बावरी, केवल कृष्ण-कृष्ण दोहराए।। तान खूब मधुर सुनी हो चाहे, कृष्ण की बसुरी ही राधा को भाए। गोपियां चाहे खूब नचायें, कृष्ण तो रास राधा से ही रचाएं।। दुनिया चाहे खूब सुनाए, इन दोनों को खूब सताए। प्रेम हो कर भी मिल ना पाए, फिर भी पूरे…
Read MoreCategory: Romance
मुझमें ही बसा करते हो…
तुम , जो मेरे अंदर बसा करते हो जाने क्या क्या खेल रचा करते हो कभी फूल तो कभी इत्र बनकर मेरी हर सांस में महकते हो.. तुम, जो मेरे अंदर बसा करते हो… गर्मियों की चाँद रात हो, या जाड़े की नर्म सुबह.. सावन की रिमझिम फुहार हो, या पतझड़ के रंगों सी धरा.. हर मौसम में एक नया सा रंग भरते हो तुम, जो मुझमें ही बसा करते हो… जीवन का ताना बाना बुनकर जीना सिखलाते हो, राधा से कृष्ण के प्रेम की, पराकाष्ठा समझाते हो, कभी रूठ…
Read MoreRelationships during Lockdown
Have you ever seen a small bud bloom into a beautiful Flower? Ever wondered about the process? It only takes a little bit of nourishment and lots of patience, time and love. Same goes with any relationship. The key to a strong relationship is love, communication, patience, time and support. However, it is not all roses and unicorns when you are actually living with someone 24*7. There are a lot of differences about opinion, habits and even personal space. As a matter of fact, it is even found in a…
Read Moreदर्द और सुकून
रात के 8 बजे 101 बुखार तेज ठंडी हवाएं बदन दर्द से टूट रहा था ,बिजली कड़क रही थी ,जैसे अभी तेज बारिश होगी ,वो लड़का घर के बाहर बैठा था इंतजार में ,उसने 5 मिनट में कॉल करने को कहा था ! वाजिब है इंतजार करेगा ही ,उसको हर दर्द का मरहम उसकी आवाज में मिल जाने लगा था,दवाओं का पैकेट हाथ में था पर खाने का मन नहीं था , उसे पता था अभी कॉल आयेगा वो प्यार से बात करेगी और उसके हर दर्द को दूर कर…
Read Moreमेरा प्यार
हिंदी दिवस पर विशेष: मेरा प्यार “सुनो पढ़ना इसे! पन्ने पढ़कर गंदे हों धूल से नहीं।” हाथों में मोटा सा उपन्यास थमाते हुये आदित्य ने जब ये कहा तो मेरे होश फ़ाख्ता हो गये थे। “हाँ” बस इतना ही कह पाई थी। किताब वजनी थी, उठाने में भी और पढने में भी। कहाँ मेरे जैसी शरारती लड़की व कहाँ वह धीर- गंभीर पुरुष। हमारा कोई मैच ही नहीं था पर…
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