थोड़ा अप्रासंगिक पोस्ट.! साधिकार आग्रह कि, अगर विचाराभियक्ति से सहमति न हो, तो पटल पर संवाद दीजिये, कोई रास्ता निकल जायेगा.! इधर कुछ अजीबोगरीब पोस्ट फेसबुक पर अपनी जगह बनाये जा रहे है.! उन पोस्ट की सत्यता पर तनिक भी संदेह नहीं, पर हर सत्य को हर पटल पर परोस जाना उचित भी तो नहीं.! विचाराभियक्ति की आजादी की मैं आरम्भ से ही पक्षधर हूँ, पर यह भी तो उचित नहीं कि, नितान्त व्यक्तिगत भावनाओं का सम्प्रेषण सामाजिक स्तर पर हो.! आज जिस गति और मति से पुरुष या महिला…
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