।।।।।। लॉकडाउन बनाम आफत।।।।।।।
“लॉकडाउन में हम पर ऐसी आफत आई “,
“जब पतिदेव ने पहली बार की, रसोई में जोर अजमाई” ।
“एक दिन हम लेटे पड़े से थे”,
,हाथ पैर ढीले ढाले ,और कान, आंख अकड़े से थे”।
प्रिये —— “ऐसे क्यों लेटी हो “,
“या कुछ चिंतनों को समेटी हो”।
हमने कहा ,”बीपी जरा “लो” है,
“हमारा उठने का मन ‘स्लो’ है “,
“काम करने की इच्छा तो एकदम ‘बिलो’ है”।
वे बोले ‘ “हम तुम्हारे लिए कॉफी बना कर लाते हैं”,
“अपने हाथ से पिला कर सुख पाते हैं ”
फिर उन्होंने कॉफी बनाई और फिर ट्रे में गई लाई,।
“और सूघँते ही मेरा बीपी हुआ हाई ”
मैंने पूछा ? डार्लिंग— “यह कैसे बनाई”
बड़े इतराकर बोले’ — “पहले हमने गैस जलाई,
“फिर दूध में कॉफी मिलाई, फिर अदरक की की कुटाई, और छोटी इलायची भी थोड़ी सी चटकाई, थोड़ी काली मिर्च भी बुरकाई, फिर सभी मिश्रण मिलाकर काफी खदकाई। ”
“हमारी तो दोनों आंखें भर आई।”
पूछने पर ,”यह तो खुशी के आंसू हैं” वजह बताइ।
जैसे- तैसे 2-4 बुरे शब्दों से “मन ही मन बडबडाई”,
“फिर हमने जोर से ली उबकाई”,
“उबकाई को कॉफी ना पीने की वजह बताइ”
“उसके बाद कभी भी कॉफी ना पीने की कसम खाई।”
पतिदेव उस दिन से फूले नहीं समा रहे है । इतनी अच्छी कॉफी बनाने पर खिले खिले नजर आ रहे हैं ।
उस दिन से हम योगा प्राणायाम नित्य कर रहे हैं ।
और गलती से भी बीपी “लो” होने से डर रहे हैं।।।।।
हीतू सिंगला