बचपन में जो कन्या पूजी जाती हैं,बड़ी होकर वही कन्या जलायी क्यों जाती हैं?बचपन में जिस कन्या को घर बुलाकर पैसे या उपहार देते थे,उसी कन्या को अपने घर हमेशा के लिए लाने में अब खुद पैसे और उपहार लेते हो।।
जब वो कन्या थी उसे घर बुलाकर उसके मन का भोजन जबर्दस्ती उसे खिलाते थे ,आज वो तुम्हारे घर आगयी है तो उसे एक निवाले को भी न पूछते हो।।
नवरात्रि में कन्या को पूजते हो और उसी कन्या को मारते हो,उसी कन्या को देवी मानते हो और उसी कन्या को तुम जलाते हो ,नवरात्रि में जिसे बुलाते हो उसी कन्या को चंद पैसों के लिए तुम अपने घर से भगाते हो।
पूरे 9 दिन जिस कन्या पर प्यार के फूल बरसाते हो और उसी कन्या के घर पर बेटी बन कर आने से तुम कितने आंसू बहाते हो।
मानव तेरी सोच से परे हूँ मैं असली में क्या हो तुम और भगवान को क्या दिखाते हो,कन्या रूपी देवी माँ को ही अपना शिकार बनाते हो ,ऐसे ही कन्या पर जुल्म करोगे तो कौन कन्या इस दुनिया में आएगी और जो गलती से आएगी उसे तुम ऐसे ही भ्रूण में मारोगे तो मुझे बता दे जालिम मानव कि अगली नवरात्रि कन्या कहाँ से लाओगे और भोज किसे कराओगे??
चित्र आभार गूगल।
बहुत अच्छा
बेहतरीन