पता नहीं क्यों मां ,अब तुम ज्यादा याद आती हो…
मां
शब्द छोटा,बड़ा तुमसे कोई नहीं ,……
पता नहीं क्यों मां ,
अब तुम ज्यादा याद आती हो,….
जब भी ,मैं किसी मुसीबत में होती,
मां ,मुझसे पहले रोती,
बीमार हो जाऊं लोग दवाएं देते ,
तुम दुआओं, दवाओं के साथ भी, रात भर नहीं सोती.
मेरी गलतियो पर पर्दा डाल देती ,
हर परेशानी से, मुझे धीरे से, निकाल देती,
डराती थी,
धमकाती थी ,
लेकिन मेरी गलतियां,
किसी और से नहीं बताती थी,
पता नहीं क्यों मां ,
अब तुम ज्यादा याद आती हो,…..
सारे रिश्तो मे स्वार्थ देखा,
बस तुम्हें, ही निस्वार्थ देखा,
बहुत है, परवाह करने वाले ,
लेकिन तुमसा कोई नहीं ,
तुम्हारा प्यार ही अलग था,
ना दिखाना ,
न जताना ,
लेकिन ,हर कदम पर साथ निभाना,
मेरी हर पसंद ,नापसंद को लेकर,
मेरी, हां मे हां मिलाना,
पता नहीं क्यों मां,
अब तुम ज्यादा याद आती हो,….
एक अजीब सी दौलत थी,
तुम्हारे पास ,
जाने कहां छुपा के रखती थी,
जैसी भी परिस्थिति हो,
हमेशा हंसती थी,
कैसे तुम्हारे एहसान चुकाऊ,
अगले जन्म में मेरी,
बेटी बन कर आना,
डराऊंगी
धमकाऊंगी
लेकिन तुम्हारे जैसा ही,
निस्वार्थ प्रेम, करके दिखाऊंगी….
Dr purnima Dwivedi
Beautiful….