मां, क्या तुम मेरी हत्या करवाओगी,..
मां,
क्या तुम मेरी हत्या करवाओगी,..
क्या मुझे इस दुनिया में नहीं लाओगी,
सुपारी दोगी, कथित गुंडों को ,
मुझे कोख में ही मार देंगे,
फिर तुम भी तो,हत्यारी कहलाओगी,
माना ,पिता हृदय हीन होगा,
तुम इतनी कठोर कैसे बन जाओगी,…
मां ,
क्या तुम मेरी हत्या करवाओगी ,
समाज और रिश्तेदारों की बातों में आओगी,
ऐसी क्या मजबूरी ,कि बेटा है इतना जरूरी ,
मेरे बदले में एक बेटा पाओगी,
क्या वो बेटा अच्छा ही होगा,
हत्यारों का खून दौड़ेगा उसमें,
वो कैसे सच्चा होगा,.
मां ,
क्या तुम मेरी हत्या करवाओगी,
क्या तुम मुझे नहीं बचाओगी,
क्या तुम मेरी संबल नहीं बन पाओगी,
कुछ नहीं देगा यह समाज ,
बस तुमसे ,तुम्हारी बेटी की हत्या करवाएगा,
रोक लो मां ,खुद को इस महापाप से,
जो तुम्हें हत्यारा बनाएगा,
मां ,
क्या तुम मेरी हत्या कर करवाओगी,
कैसे अपने हृदय पर ,
मेरी मृत्यु का बोझ उठाओगी,
कौन कहता है ,कि बेटा ही वंश चलाएगा,
जिस घर में बेटी की हत्या हो ,
वो घर तो ऐसे ही, खत्म हो जाएगा,
बस तुम ही मुझे बता सकती हो, और कोई नहीं बचाएगा,
मेरे आने से तुम्हारा वंश नहीं खत्म हो जाएगा,
मां ,
तुम क्या मेरी हत्या करवाओगी..
मत मारो मां ,आने दो मुझे
तुम मेरा साथ दो,
मैं भी तुम्हारा साथ निभाऊंगी ,
तुम्हें छोड़कर कभी नहीं जाऊंगी,
बेटे से बेहतर बन के दिखाऊंगी
मुझे बचा लो ना मां…..
Dr purnima Dwivedi
[29/05, 16:35] Purnima: “संघर्ष कहलाता हूं ”
मैं जीवन पर्यंत सबके साथ चलता हूं,
कोई मुझे पसंद नहीं करता..
फिर भी नापसंदी को सहता हूं ,
किसी को कुछ नहीं कहता हूं..
मेरा साथ भी जरूरी है,
बिना मेरे ,कोई आगे नहीं बढ़ता..
मुझे सब छोड़ना चाहते हैं ,
मुझसे मुंह मोड़ना चाहते है..
हर नाकामी को मेरे सिर लगा देते है,
मेरे नाम की दुहाई देते हैं..
कुछ, मुझे आधे रास्ते में छोड़ते हैं,
कुछ ,कभी नाता नहीं तोड़ते है..
जो मुझे छोड़ता ,वो बिखर जाता है,
जो साथ होता ,वो संवर जाता है..
मैं हूं ,तो जीवन है,
नहीं तो किसी अकेले में क्या दम है..
जो साथ रहता ,वो इतिहास रचता है,
भंवर में बार-बार गोते दिलवाता हूं..
जो उसमें निकलता है ,
बस उसी का साथ निभाता हूं..
इंसान को अनमोल बनाता हूं,
उसे हीरे सा चमकाता हूं..
दुनिया में उसको ,पहचान दिलाता हूं,
“मैं संघर्ष कहलाता हूं”…..
Dr purnima Dwivedi