अरसों बाद हम-नज़र हुए तो दिखा बदल गई है वो।
ना जाने ख़ुद में कुछ सिमट सी गई है वो।
देखा मुझे उसने तो हिज़ाब ओढ़ लिया,
पर आंखे बयां कर रही थी जैसे टूट गई है वो।
चेहरे की उदासी बता रही थी कुछ यूँ,
कि मेरी तरह अपना भी दिल तुड़वा आयी है वो।
हाथों की कपन माथे की शिकन ये बता रही थी,
हमारी ही यादों में वापस अब खोई हुई है वो।