ईश्वर का उपहार है बच्चें
माँ पिता का प्यार है बच्चे,
बच्चों बिन सुनी है बगियाँ
जैसे बिन फूलों के डालियाँ।
बच्चों को खिलने देना है
रोक टोक कर मुरझा न देना,
जिस दिन नाम कमाएँ जग में
उस दिन कृतज्ञ प्रभु के होना।
संस्कार भी ऐसे देना
सबको प्यार ,समान करें,
जितना भी आगे बढ जाएं
मन मे न अहंकार करें।
बच्चें काल को कैसे होंगे
इस सोच से पहले खुद को परखे,
इनको तुम कल दोष न देना
ये तो प्रतिबिम्ब हमारा होते।
राधा गोयल