अक्सर कहा और सुना जाता है ” हर रिश्ते भगवान बनाता है , लेकिन दोस्त एक ऐसा रिश्ता है जो हम खुद चुनते है” । कितना अनमोल होता है ना ये रिश्ता जो बिना किसी बंधन में बंधे जिंदगी भर का साथ निभाता है। ना या छोटा बडा देखता है ,न ये जात पात देखता है , न ही अमीरी गरीबी बस बिना किसी शर्त के साथ निभाता है।
वैसे युगो युगो से दुनियां ने दोस्ती की मिसाले देखी है। जिसका सबसे शसक्त उदाहरण है कृष्ण और सुदामा की दोस्ती । जहाँ राजा कृष्ण ने अपने गरीब दोस्त सुदामा के मुट्ठीभर चांवल के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया था। लेकिन क्या अब भी वैसे ही दोस्ती देखने मिलती है? मतलब की इस दुनियां ने क्या दोस्ती का रंग भी फीका कर दिया है? क्या लोग अब सिर्फ स्वार्थ पूर्ति के लिए दोस्ती करते है?
अलग अलग लोगो के अलग अलग मत हो सकते है। अच्छा दोस्त पाने के लिए अच्छा दोस्त बनना पड़ता है। हम अपने दोस्त से जो अपेक्षाएंं लखते है वो पहले स्वयं उसे पूरी करनी पड़ती है। याद है बचपन मे कैसे दोस्तो से रूठ जाते थे और फिर पल भर मे मान जाते थे। घर मे डांट पडेगी ये जानते हुए भी अपनी चीजे दोस्तों से बांट आते थे। दोस्त पर अधिकार समझते थे और उन्हे खुदपर अधिकार जताने देते थे। तो अपने भीतर के उस प्यारे दोस्त को जिंदा रखिए फिर देखिए कैसे सच्चे दोस्त मिलते है जो उम्र भर का साथ निभाएंगे।