क्यो लिखता हूं मैं जज्बातों को अल्फाज़ो में,
बताने के पैमाने बहुत है।
तुझसे बढ़कर कभी कुछ सोचा ही नही दिल मे,
समझाने के इरादे बहुत है।
जिन राहों में कभी हम चले थे साथ में,
तबसे वो रास्ते सुनसान बहुत है।
मिल लो एक बार मेरा कल हो न शायद,
ये दिल तेरी चाहत में वीरान बहुत है।
तमाम कोशिशों के बाद भी तुझे भुला न सका,
शायद इस दिल पर तेरे एहसान बहुत है।
अगर तेरी आंखे नम न हो तो एक बात कहूँ,
रुख़सत होने से पहले तेरे संग जीने के अरमान बहुत है।