ना जाने मेरी आँखों को ये धोखा हुआ जाता है
जहाँ से देखूँ मेरे साए में तेरा साया नज़र आता है
तुझसे शुरू तो ये ज़िन्दगी के सिलसिले ना थे
तुझपे ख़त्म होंगे मगर, ये गुमाँ हुआ जाता है
मेरे अंदर जो तेरा पुरज़ोर अक्स पला करता है
आफ़ताब भी उसके सामने फीका नज़र आता है
ये अश्क़ जो मेरी आँखों में दिए हैं तूने
ग़ौर से देख इनमें तेरा अक़्स नज़र आता है
ज़िन्दगी यूं ही मयस्सर होती नहीं है दुनिया में
हर एक शख़्स यहाँ थका थका सा नज़र आता है
जीने की हो चाहत तो चले आना मेरे पास
कि ये दिल मुझे तेरा दरबार नज़र आता है